रिलायंस पॉवर ने दी पॉवर मैनेजमेंट कंपनी को धमकी , 434 करोड़ रुपये दो नहीं तो 300 मेगावाट बिजली नहीं देंगे

घुमंतू संवाददाता | जबलपुर

सासन पावर ने एमपीपीएमसीएल को थमाया नोटिस

रिलायंस ने मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी (एमपीपीएमसीएल) को धमकी दी है कि – यदि उसने 434 करोड़ रुपए का जल्द भुगतान नहीं किया तो वह उसकी निर्धारित सप्लाई तीन सौ मेगावाट घटा देगा। रिलायंस के सासन पावर ने इस बाबत अपने सबसे बड़े प्रोक्यूरर एमपीपीएमसीएल को नोटिस भी भेजा है। एमपीपीएमसीएल के प्रबंध संचालक संजय शुक्ला ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि – सासन पावर का यह नोटिस दबाव की राजनीति के सिवाय कुछ नहीं है, जबकि उसे ऐसा करने का अधिकार नहीं है।

सीईआरसी में जाने की तैयारी
सासन पावर का बिजली सप्लाई घटाने का नोटिस मिलते ही मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी के अफसर सीईआरसी (सेन्ट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेग्युलरटी कमीशन) जाने की तैयारी में जुट गए हैं। दैनिक भास्कर की जब इस मुद्दे पर एमडी संजय शुक्ला से बात हुई तब वे दिल्ली में ही थे। उन्होंने कहा कि – चिंता की कोई बात नहीं है। इस नोटिस को लेकर एमपीपीएमसीएल सीईआरसी के पास जा रही है।

दबाव की राजनीति है यह
मप्र विद्युत अभियंता संघ के महासचिव वी.के.एस. परिहार इसे दबाव की राजनीति बताते हैं। वह कहते हैं कि पहले तो सासन पॉवर ने सस्ती बिजली देने के नाम पर राज्यों से करार किया और इसके नाम पर सैकडा़ें़ करोड़ रुपए के प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष लाभ मप्र सरकार से हासिल किए। अब यही सस्ती बिजली खुले बाजार में बेच कर मुनाफा कमाने का वह रास्ता खोज रहा है। ऐसा किया जा सके इसीलिए एमपीपीएमसीएल को उसके हिस्से की 1480 मेगावाट बिजली में से 300 मेगावाट की सप्लाई घटाने का नोटिस दिया है।

एससी में जा चुके हैं
ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे कहते हैं कि – एआईपीईएफ व एमपीपीएमसीएल सहित आधा दर्जन से अधिक प्रोक्यूरर सासन पावर की सीओडी (कॉमर्शियल ऑपरेशन डेट) 31 मार्च 2013 मान्य किये जाने के एप्टेल के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुके हैं। इसलिए जब तक वहां इस पर अंतिम फैसला नहीं हो जाता, एमपीपीएमसीएल सहित बाकी प्रोक्यूरर क्यों सीओडी क्लेम अमाउंट का भुगतान करेंगे।

इसलिए नहीं है अधिकार
एमडी संजय शुक्ला कहते हैं कि सीओडी क्लेम के मुद्दे पर एप्टेल के फैसले के बाद सासन पावर द्वारा बकाया राशि चुकाने बाबत केवल एक पत्र भेजा गया है। बकाया राशि का उसने कोई बिल नहीं भेजा है। बिना बिल केवल पत्र के आधार पर 354 करोड़ रुपए का बकाया और उस पर 80 करोड़ के ब्याज का कैसे भुगतान किया जा सकता है। बकौल श्री शुक्ला- जब तक रिलायंस का सासन यूएमपीपी अपना गणनात्मक बिल नहीं देगा, हम क्लियरीफिकेशन कैसे कर सकेंगे?
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